अचलेश्वर महादेव मंदिर के अद्भुत रहस्य चामत्कारिक रूप देख कर विद्यानिक हो जाते है हैराण !
शिव के महिमा को समझ पाना सब के लिये असंभव है! शिव के कई मंदिर और उनसे जुडी चमत्कारिक बाते दुनिया के समझ से परे है!
कलयुग मे भी शिव के रहश्यमय घटनाए है!
अचलेश्वर महादेव मंदिर के अद्भुत रहस्य:

अचलेश्वर महादेव शिव का यह मंदिर धौलपुर, राजस्थान के माउण्ट आबू में स्थित है इसे जुडी चमत्कारीत बाते दुनिया को हैराण करती है!
यह शिव का विश्व का ऐसा एकमात्र मंदिर है, जहाँ भगवान महादेव शिव तथा उनके शिवलिंग की नहीं, अपितु उनके पैर के अंगूठे की पूजा की जाती है! यह एक अनोखा रहस्य है !
यहाँ भगवान महादेव शिव अंगूठे के रूप में विराजते हैं और सावन के महीने में इस रूप के दर्शन का विशेष महत्त्व है। इसी लिये यह मंदिर विशेष रूप से अनोखा है
यह मंदिर जहां अचलेश्वर महादेव मंदिर धौलपुर दिन में तीन बार रंग बदलने वाला शिवलिंग है! ऐसा और कही नही होता वहीं राजस्थान के माउंट आबू में स्थित!
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अचलेश्वर महादेव दुनिया का ऐसा इकलौत मंदिर है!
जहां पर शिवजी के पैर के अंगूठे की पूजा होती है!
इसी के कारण भी इस मंदिर को दुनिया मी शिव का एक चमत्कारीत मंदिर माना जाता है!
कहा जाता है कि यह अचलेश्वर शिव महादेव का मंदिर इ.स ८१३ अचलगढ़ के ऐतिहासिक रहस्यमय स्थल पर बनाया गया था!
भगवान शिव के पैर आज भी मौजूद हैं यह सब के लिये एक अद्भुत चमत्कार है
इस अचलेश्वर शिव मंदिर में आज भी भगवान शिव के पैरों के निशान मौजूद हैं।
यहां भगवान एक भोले अंगूठे के रूप में निवास करते हैं और शिवरात्रि और सावन के महीने में इस रूप के दर्शन का विशेष महत्व माना जाता है!
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अचलेश्वर मंदिर की पौराणिक कथा :-
ऐसा माना जाता है कि पौराणिक काल में, माउंट आबू कि के पास , नीचे एक बड़ी ब्रह्म खाई थी!
वशिष्ठ मुनि इसके तट पर रह कर अपनी तपस्या करते थे !
एक बार उनकी गाय कैमडेनु हरी घास चरते हुए ब्रह्मा के नीचे खाई गिर गई, तब ऋषि ने उन्हें बचाने के लिए सरस्वती गंगा माता को पुकारा, तब ब्रह्मा का रसातल पृथ्वी की सतह से भर गया और कैमडेनु गाय के गोबर में जमीन से बाहर आ गया!
फिर वही हुआ!