भगवान विष्णू के अवतार के बरे मी तो सब जनते है !
लेकीन क्या आप भगवान शिव के अवतारो के बारे मी जाणते हो ? भगवान शिव के अवतार के बरे मी कम लोग जानते है ! और भगवान ब्रम्हा के अवतार के बरे मी तो कुछ भी नही जानते! दतात्रेय तीनो हि देवता के अवतार थे ! अनुसया को तीन पुत्र हुये थे जिसमे से एक पुत्र चंद्रमा थे जो कि ब्रम्हा जी के अवतार थे !
आज हम आपको भगवान शिव के अवतार के बारे मी बताते है !
शिव पुरण मी और पौराणिक कथओमे शिव के अनेक अवतारो के बारे मी बतायला गया है ! वर्णन किया गया है !
कई मी २४ कई मी १९ औतारो का जिकर है ! भगवान शिव के अंशावतार भी बहोत है ! शिव के कूछ अवतार तंत्रमार्गी है तो कूछ दक्षिणमार्गी!
भगवान शिव के रुद्रअवतार :-
कपाली , पिगल , भीम , विरुपाक्ष, विलोहित, शाश्ता , अजपाद , आपीबुध्य
शिव के दशावतार :-
शिव स्वरूप सूर्य
जिस प्रकार इस ब्रह्माण्ड का ना कोई अंत है, न कोई छोर और न ही कोई शूरुआत, उसी प्रकार शिव अनादि है सम्पूर्ण ब्रह्मांड शिव के अंदर समाया हुआ है! इसी लिये शिव दुनिया मी माने जाते है!
जब कुछ नहीं था तब भी शिव थे जब कुछ न होगा तब भी शिव ही होंगे। शिव को महाकाल कहा जाता है, अर्थात समय। शिव अपने इस स्वरूप द्वारा पूर्ण सृष्टि का भरण-पोषण करते हैं।
इसी स्वरूप द्वारा परमात्मा ने अपने ओज व उष्णता की शक्ति से सभी ग्रहों को एकत्रित कर रखा है।
परमात्मा का यह स्वरूप अत्यंत ही कल्याणकारी माना जाता है क्योंकि पूर्ण सृष्टि का आधार इसी स्वरूप पर टिका हुआ है।
पवित्र श्री देवी भागवत महापुराण पौराणिक में भगवान शंकर को तमोगुण बताया गया है इसका प्रमाण श्री देवी भागवत महापुराण अध्याय 5, स्कंद 3, पृष्ठ 121 में दिया गया है!
शिव पुराण:
पवित्र शिव पुराण एक लेख के अनुसार, कैलाशती भगवान शिव जी ने देवी आदिशक्ति और सदाशिव से कहे है कि हे मात!
ब्रह्मा तुम्हारी सन्तान है तथा विष्णु की उत्पति भी आप से हुई है तो उनके बाद उत्पन्न होने वाला में भी आपकी सन्तान हुआ।
ब्रह्मा और विष्णु सदाशिव के आधे अवतार है, परंतु कैलाशपति शिव “सदाशिव” के पूर्ण अवतार है। जैसे कृष्ण विष्णु के पूर्ण अवतार है उसी प्रकार कैलाशपति शिव “ओमकार सदाशिव” के पूर्ण अवतार है।
सदाशिव और शिव दिखने में, वेषभूषा और गुण में बिल्कुल समान है। इसी प्रकार देवी सरस्वती,