भगवान शिव के कैलास पर्वत का रहस्य हरकोई जानना चाहता है| भारतवर्ष मे भगवान शिव के हजारो मंदिर है ! जहा लाखो कि सख्या मी श्रद्धालु दर्शन करणे आते है | भगवान शिव को हिंदू धर्म का सर्वश्रेठ देवता माना जाता है|
आज हम कैलास पर्वत के बारे मी जानेंगे मित्रो कैलास पर्वत पहले भारत का हिस्सा था| हिदू धर्म मे भगवान शिव और कैलास पर्वत का विशेष महत्व भी माना जाता है |
कैलाश पर्वत का रहस्य:

भगवान शिव देवो के देव महादेव होणे के साथ साथ दानवो , मानवो , यक्ष्य , गंधर्व , नाग , किन्नर सहित संपूर्ण जगत के ईश्वर है |
दोस्तो कैलास पर्वत अपने आप मे एक मनी जैसा है ! हिंदू धर्म ग्रंथो के अनुसार कैलास पर्वत एक और स्पतीथ , दुसरी और मनिक तिसरी तरफ सोना तथा चौथी तरफ नीलम से बना है! जो आदि के समय मे बेहत किमती है |
सन १९६२ मे चीन ने भारत पर अचानक हमला कर दिया उस समय भारत देश को अग्रेजो से आझाद हुये मात्र १५ साल हि हुये थे | इसी लिये भारतीय सेना इतनी शा शश्क्त नही थी |
इस तीर्थ क्षेत्र को अस्टापद, गणपर्वत और रजतगिरि कहते हैं|
कैलाश पर्वत के बर्फ से भरे 6,638 मीटर (21,778 फुट) ऊँचे शिखर और उससे नजदीक मानसरोवर का यह तीर्थ है| और इस प्रदेश को मानसखंड कहते हैं|
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पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान रुश्ब्देव ने यहीं निर्वाण कि प्राप्त किया! श्री भरतेश्वर स्वामी मंगलेश्वर श्री ऋषभदेव भगवान के पुत्र भरत ने दिग्विजय के समय इसपर विजय प्राप्त की|
के दिग्विजय प्रयास के समय अर्जुन ने इस प्रदेश पर विजय प्राप्त किया था। के राजसूय यज्ञ में इस प्रदेश के राजा ने उत्तम घोड़े, सोना, रत्न और है !
कैलाश पर्वतमाला कश्मीर से लेकर भूतान तक फैली हुई है और ल्हा चू और झोंग चू के बीच कैलाश पर्वत है जिसके उत्तरी शिखर का नाम कैलाश है।
इस शिखर की आकृति विराट् शिवलिंग की तरह है। पर्वतों से बने षोडशदल कमल के मध्य यह स्थित है। यह सदैव बर्फ से आच्छादित रहता है।
इसकी परिक्रमा का महत्व कहा गया है। तिब्बती (लामा) लोग कैलाश मानसरोवर की तीन अथवा तेरह परिक्रमा का महत्व मानते हैं और अनेक यात्री दंड प्रणिपात करने से एक जन्म का, दस परिक्रमा करने से एक कल्प का पाप नष्ट हो जाता है। जो 108 परिक्रमा पूरी करते हैं उन्हें जन्म-मरण से मुक्ति मिल जाती है।

इस प्रदेश में एक सुवासित वनस्पति होती है जिसे कैलास धूप कहते हैं। लोग उसे प्रसाद स्वरूप लाते हैं।
कैलाश पर्वत को भगवान महादेव का घर कहते है। वहॉ बर्फ ही बर्फ में भोले नाथ शंभू अंजान (ब्रह्म) तप में लीन शालीनता से, शांत ,निष्चल ,अघोर धारण किये हुऐ एकंत तप में लीन है!
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